रविवार, 30 अगस्त 2020

बढ़ता जा रहा हूं मैं


ठोकरें लाख है, सफर में
हर ठोकर खाकर भी, मुस्कुरा रहा हूं मैं 
जैसी भी है मेरी है ,इसलिए जिंदगी को
हर बढ़ते कदम के साथ, गले लगा रहा हूं मैं 
तुम मुझसे, पूछो या ना पूछो ,फिर भी 
अपने हालात, बता रहा हूं मैं 
कई जख्म लगे हैं, सीने में 
जिनको तुम से छुपा रहा हूं मैं 
रोने का दिल करता है, कई बार 
फिर भी, मुस्कुरा रहा हूं मैं 
आगे बढ़ना ही जिंदगी है 
हर कदम के साथ, आगे बढ़ता जा रहा हूं मैं 
जिंदगी से, कुछ वादे किए थे शायद
जिसे वक्त के साथ निभा रहा हूं मैं 
वो मुझसे दूर चली गई, तो क्या हुआ 
उनकी हर खुशी पर अपनी जिंदगी, लुटा रहा हूं 
प्यार किया था, कभी किसी से 
आज भी जिसे निभा रहा हूं मैं 
जिंदगी तुझे देने हैं, जितने सितम देले 
तेरे हर एक सितम को, वैसे भी सहते जा रहा हूं मैं 
मन करता है आंसू बहाने का पर फिर भी 
हर वक्त, हर पहर मुस्कुरा रहा हूं मैं 
जिंदगी से कुछ ऐसी दोस्ती निभा रहा हूं मैं 
वक्त के साथ ,कदम दर कदम आगे बढ़ता जा रहा हूं

ख्वाब ज़िंदा हैं

कुछ नए, ख़्वाब जिंदा हैं
अभी तो, कई रात  ज़िंदा है
हर वक़्त, परखती है मुझको ज़िन्दगी
इसलिए , ज़िन्दगी की खातिर हम भी
कई, मुखौटो के साथ ज़िंदा है
अभी मुझमें , कई जज़्बात ज़िंदा है
जो ना बदले, कई दिनों से , वो हालात ज़िंदा है
परिंदे, बिना पंख के है, तो क्या हुआ
अभी तो, सारा आसमान ज़िंदा है
लोग तो है हर तरफ, फिर भी
ना जाने क्यों लगता है , 
चलता फिरता शमशान ज़िंदा है
कहीं, फेकने को है बहुत कुछ
कहीं , ढकने को कफ़न भी नहीं
इंसान तो,  हर तरफ ज़िंदा है
पर आजकल, ज़रा इंसानियत शर्मिंदा हैं
मै खुद में, नहीं हूं तो क्या हुआ
मेरे ख्वाब तो ज़िंदा है





मंगलवार, 30 जून 2020

कुछ तो अलग बात है इन दिनों

कुछ तो अलग बात है इन दिनों
कुछ अलग हालात हैं इन दिनों
घर के बाहर दहशत है
शहर कुछ शांत है इन दिनों

गाड़ी के पहिए जाम है इन दिनों
घर पर ऑफिस के काम है इन दिनों
थोड़ा काम है थोड़ा आराम है इन दिनों
वक़्त ना जाने कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं इन दिनों

डिजिटल हो रही मुलाकात है इन दिनों
सिर्फ फोन पर हो रही बात है इन दिनों
वक़्त तो है फिर भी दिल उदास है इन दिनों
जीवन में जो खास है वो हर पल पास है इन दिनों

हर तरफ बिगड़े हालात है इन दिनों
यूहीं गुज़र रहे सुबह शाम है इन दिनों
खबरों की सुर्खियों में वक़्त के नए दाम है इन दिनों
हर किसी के सीने में उभर रहे नए जज़्बात है इन दिनों

कहीं डॉक्टर , कहीं पुलिस
हो रहे मददगार है इन दिनों
इंसानी फरिश्तों के ये नए नाम है दिनों
देश की खातिर जो हो रहे रोज कुर्बान है इन दिनों

घरों में फिर हो रहे है रिश्ते गुलज़ार है इन दिनों
बच्चो के हीरो उनके पापा , बच्चो के साथ है इन दिनों
बदल रहे सबके खयालात है दिनों
घर हो रहे खुशहाल है इन दिनों

सुना है अस्पतालों में कोहराम है इन दिनों
जिंदगी के ज्यादा दाम है इन दिनों
वो खुशनसीब है जिनके पास काम है इन दिनों
वरना सड़कों पर बहुत लोग बेकार है इन दिनों

क्या बताऊं कितने बदले बदले हालात है इन दिनों
गुज़र रही जिंदगी यू ही गुज़र रहे यू ही सुबह शाम है इन दिनों

शनिवार, 30 मई 2020

कहा जाना है

बहुत जल्दी में है सब शायद 
ना जाने कहां जाना है
बरसो से सुना है
जिन्दगी एक सफर है 
सफर को एक दिन मुकाम पे जाना है
फिर भी वक़्त कहा है किसी के पास 
सबको तो पैसे कमाना है 
अपने आज को खोकर ,कल को बनाना हैं
शायद इन्हीं पैसों की दौड़ ने मेरे ख्वाब छीन लिए
दिल में बसे मेरे बेशकीमती जज़्बात छीन लिए
अब तो रास्ते भी रास्तों से बात करते है 
कोई रुके पल दो पल के लिए रहो में 
रास्ते इंतजार करते है
कुछ तो बदला सा है आजकल 
अब पहले सी फुर्सत नहीं मिलती 
रिश्ते कुछ महंगे से है
आसानी से नहीं मिलते
और मिल भी जाए ज्यादा दिन नहीं टिकते
बहुत जल्दी में है सब शायद
इसलिए कुछ भी हो किसी के लिए नहीं रुकते
ना जाने क्या पाना चाहते है 
ना जाने कहा जाना चाहते है

रविवार, 19 अप्रैल 2020

corona

प्रकृति ने भी क्या रूप दिखाया है 
इंसान घरों में कैद है 
और जानवर सड़क पर आया है
हर कुछ शांत किया कुछ पल के लिए 
प्रकृति ने अपना दोहन 
खुद ही कुछ पल के लिए बचाया है
मानवता की उपज हुई है लोगों में इक बार फिर से
सब ने मिलकर एक दूसरे का साथ निभाया है
हम भूल गए थे सब कुछ 
इसलिए तो प्रकृति ने यह तांडव रचाया है
भले एक दूसरे से दूर किया है
पर खुद से मिलने का वक्त दिया है 
प्रकृति ने भी इस बार कुछ तो नया किया है







गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

बहुत पैसा कमाया तूने की
गफलत में सब को भूल गया
मां-बाप और माटी तो यही रह गए
तू किसी और मुल्क का हो गया
ले देख वक्त ने करवट ली
और क्या से क्या हो गया
सुना है अखबारों में आ रहा है आजकल
परिंदों के लिए पराया था जो मुल्क
अचानक से आज अपना सा हो गया
ये सारा वक़्त हमें एहसास करता है
हमें याद दिलाता है फिर से

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

परछाइयां

यह परछाइयां भी कैसी है ना 
उम्र भर हर पल साथ चलती है 
गम हो या खुशी हो हर वक्त साथ निभाती है 
सिर्फ एक बात है जो वह उम्र भर नहीं कर पाती है
हमसे बात,  कई बार तुम्हें रोकना चाहती है 
कई बार तुम्हारी परछाई तुम को समझाना चाहती है
हां पर वह कुछ नहीं बोल पाती है 
जब धूप ना हो तो आईने में उतर आती है 
कभी तुम्हारी परछाई , कभी तुम्हारा अक्स बन जाती है
हां यही तो है वह जो तुम्हें कुछ गलत करने से रोकती है कभी-कभी तुम्हारा जमीर बन जाती है 
एक परछाई तो है जो जन्म के साथ आती है 
और शरीर के मिट्टी में मिलने तक साथ निभाती है 

रविवार, 15 मार्च 2020

अहसास कराना भी तो जरूरी है

एहसास कराना भी तो जरूरी है 
दिलों में जो है जज्बात उसे बताना भी तो जरूरी है 

अगर खवाहिसे है खुशियों की
तो गम का साथ निभाना भी तो जरूरी है

यूं ही नहीं मोहब्बत में मुकाम मिलते हैं 
रिश्तो को निभाते जाना भी तो जरूरी है

खुश हो अगर तो तुम सच में 
लबों से मुस्कुराना भी तो जरूरी है

सिर्फ फूलों को तुम गले लगाना चाहते हो 
पर कांटो का प्यार भी तो जरूरी है

हर रिश्ता खूबसूरत है इस दुनिया में 
पर हर रिश्तों में प्यार भी तो जरूरी है

अगर छाव अच्छी है
तो धूप का साथ भी तो जरूरी है

अगर बसंत की बाहर अच्छी है
तो पतझड़ की बयार भी तो जरूरी है

दिलो में जो जज़्बात है 
उस बताना भी जरूरी है

रविवार, 1 मार्च 2020

अनकहे अल्फ़ाज़

न जाने दिली जज्बात कुछ अलग से  एहसास 
कराने वाले अनकहे अल्फ़ाज़ कहा गए 

आंखो की आश्रुधरा बह जाए 
आंखे से पड़े तो सारा नज़ारा नज़रों के सामने आए 
मां की बात लिखी हो पन्नों में
तो मां के होने का अहसास कराए

जो बात थी उनमें वो कहा से लाए 
खो गए है सारे खत ज़माने से 
सो गए सारे अहसास पुराने से 

खो गई चिठ्ठी इस बढ़ते दौर में 
रह गई मिट्टी वतन की इसी ओर में
अब ना वो चिठ्ठी में लिखे जज्बात 
कहीं लिखे जाते है 
ना कहीं से जाते है ना कहीं पे आते है

बातें तो अब भी लिखी जाती हैं
बातो में वो बातें नहीं है

कभी वक्त मिले तो देखना पन्नों में लिखकर 
कलेजा बाहर निकल आता है 
सांसे सहम सी जाती है 
दिल के जज़्बात जब पेपर में उतरकर आते है

अरे यही तो वो है जो खत कहलाते है
दिलो से दिलो को जोड़ते है 
कम शब्दों में सब कह जाते है 

ये खत है साहब जो अब सिर्फ यादों में 
ना तो अब कहीं से आते है ना ही कहीं को जाते है





शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

वो पहली मुस्कुराहट

कभी बैठो अकेले में कुछ पल फुर्सत के निकालो
पलकों को थोड़ा आराम दो गुजरे लम्हों की तस्वीर सजा लो

याद करो उन लम्हों को जिन लम्हों में तुमने जिंदगी को जिया था

मुझे याद है वो पहली मुस्कुराहट तुम्हारी 
जिसकी खातिर हमने अपना सब कुछ कुर्बान किया था

वो पहली बार तुम्हारा मुझे देखना और देखकर मुस्कुराना
नज़रों से नज़रों का चुराना एक अनकहे से एहसास से फिर मुझे देखते जाना

वो तुम्हारा शर्माना सामने आना और फिर कहीं खो जाना  
कभी मिलो तो धीरे से मेरे हर हरकत पर तुम्हारा मुस्कुराना 

मुझे याद है अब भी तुम्हारा वो काजल लगाना
मुझे याद अब भी वो मंजर पुराना 

मुझे याद है अब भी तुम्हारे इंतज़ार घटो उन रहो में बिताना 
जिन रही से तुम आती थी

मेरा तुम्हारी हर जानकारी जुटाने में सीआईडी हो जाना
तुम्हारा नंबर मिलने पर भी फोन ना लगाना

मेरी हरकतों का अहसास मुझे अब भी याद है
देखकर तुझको अपने सिर का खुजलाना

तुमसे हुई पहली बात पे मेरा हकलाना 
याद है मुझे अब भी वो वक़्त वो पहली मोहब्बत का फसाना

मा बाप की मोहब्बत

गर हम नशे में होते मोहब्बत के
तो तुम्हे  अपना खुदा बताते 

मोहब्बत तो दो पल की रवानी है 
किसी को देखें और दिल धड़क जाए 
यह नहीं है मोहब्बत 
अरे मोहब्बत वह भी तो है जिससे दिल में धड़कन आए 

भला कैसे एहसान फरामोश बने हम
कि दिल लगे और सब कुछ भूल जाए

कैसे किसी एक को खुदा माने हम कि 
जब इस दुनिया में दो खुदा के साए में आए

कि मेरे आने के बाद ही तो हो 
मां कहलाए पिता कहलाए

दो पल का फसाना नहीं है जिंदगी
किसी और की दी हुई है जिंदगी 

कि कुछ और नहीं चाहिए उनको दुनिया में 
कि हमारी हर मुस्कुराहट में वो मुस्कुराए

रोए जब हम अकेले में हार कर 
तो उन्होंने भी अकेले छुप कर खूब आंसू बहाए

सारी मोहब्बत इस दुनिया में वक्त के साथ खत्म हो जाएगी
एक मां बाप की मोहब्बत है 
जो तुम्हारी पैदा होने से लेकर 
तुम्हारे जनाजे तक साथ जाएगी

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

सपने बेचकर आया हूं

हजारों सपने बेचकर आया हूं 
तब में यह पहुंच पाया हूं

बचपन के सुनहरे सपने को
बचपन की उन सकरी गलियों में, 
छोड़कर आया हूं

रोटी कमाने की दौड़ में
रास्तों मोड़कर आया हूं

बुलाते है वो रास्ते अभी भी मुझको
ना जाने क्यों 
क्या उन रास्तों का कुछ उधार छोड़कर आया हूं

अब  कौन समझाए उन रास्तों को
की जिस शक्स को जानते हैं वो
उसको तो मै कबका कहा छोड़कर आया हूं

हजारों सपने बेचे है खवाहिसो को जलाया है 
तब कहीं जाकर मैंने जिंदगी जीने का सामान जुटाया है

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

कुछ इश्क़ हम निभा लो

इस भागदौड़ भरी जिंदगी से
कुछ पल तुम चुरा लो 
कुछ पल हम चुरा ले 
आ जाओ फिर से एक बार बाहों में
घुल जाए एक दूसरे में प्यार का दरिया बहा दे

जो बरसों से दबा रखे है अल्फ़ाज़ दिल में
होंठो से तुम बता दो लबों से हम हटा दे

जीवन तो गुलाब सा है 
आज खिला है तो कल मुरझाएगा भी
आज जो वक्त मिला हमको 
नहीं माने हम तो तो ये वक़्त गुज़र जाएगा भी

खामोश पलके अच्छी है तुम्हारी
पर ज्यादा ज्यादा खामोश रही 
तो कल छलक जाएगी 
आंखों से आंसू बरसाएगी 

छोड़ो जमाने कि बंदिशों को
दिल के अरमानों को 
परवान चढ़ा लो 
तुम मुझमें घुल जाओ में तुममें घुल जाए

इस खाली कैनवस सी जिंदगी में
कुछ रंग प्यार के भर दे 
एक प्यारी तस्वीर बना दे 

चलो इस भागदौड़ भरी जिंदगी से
फुर्सत के कुछ लम्हे चुरा ले
कुछ प्यार तुम करो
कुछ इश्क़ हम निभा ले

: आनर्त 

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

प्यार महफ़िल और रंजिश

प्यार महफिल और रंजिश तीनों ही का अजीब दोस्ताना है 
जब होती हैं तो इंसान इंसान नहीं रहता

दिल दिल और दिमाग दिमाग दिमाग नहीं रहता
कहना कुछ चाहता है दिल कह कुछ देता

निकम्मा बन जाता है इश्क में आदमी कि
इस दुनिया में इश्क के सिवा उसका कुछ नहीं रहता

और महफिले खुद से खुद को तोड़ती हैं 
किसी और का रुख मोड़ती हैं

रंजिशें तो गजब कहर ढाते हैं 
अपनो से ही अपनों को लड़ वाती हैं 

हम जानते हैं सब कुछ फिर भी संभल नहीं पाते 
प्यार महफ़िल और रंजिश इन्हीं के चक्कर में हम खुदको भूल जाते

जीना चाहते हैं कुछ अलग तरीके से फिर भी इन्हीं पुराने ढर्रे के बीच में जिंदगी बिताते हैं

और इंसानियत की तो न पूछो 
किसी कोने की किसी कब्र में दफन कर कर 
हम कभी हैवान तो कभी नकली इंसान बन जाते है

पूजते हैं जीवन भर खुदा को 
और खुद को ही भूल जाते हैं



शनिवार, 25 जनवरी 2020

मा तुम क्या हो

मां तुम क्या हो क्या तुम मेरी ख्वाबों का खजाना हो 
या मेरी बचपन की कहानियों का पिटारा 
एक अनकहा सा एहसास हो या 
खुदा का कोई एहसान हो 
पर जो भी हो इस दुनिया में मेरी पहचान हो 
तुम हो तो मैं हूं 
तुम मेरे बचपन का दुलार हो 
तुम इस दुनिया में मेरा पहला प्यार हो 
सारे रिश्ते झूठे हैं जो वक्त पर जाकर टूटे हैं 
एक तू ही है जिसका रिश्ता सच्चा है 
मैं कितना भी बड़ा हो जाऊं तेरे लिए 
पर तू कहती है तू तो मेरा बच्चा है 
यह सारी दवाएं  झूठी है 
तेरे हाथों में मां जादू की बूटी है 
चोट मुझको लगती है 
तू दर्द से करहती है 
तू जादूगरनी है क्या मां सब जान जाती है 
तेरी गोद में सर रख लूं तो स्वर्ग का सुख पाता हूं 
जो तू हाथ फेर दे मेरे सिर पर सब भूल जाता हूं 

मेरी आौकत बताएंगे क्या

यह महंगे कपड़े महंगी गाड़ी मेरी औकात बताएंगे क्या
बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक

जिनका मर गया हो जमीर पैसों की खातिर
उनसे कोई जाकर पूछे
वह क्या कभी अपने जनाजे से लौटकर आएंगे

और यह कौन लोग हैं जो मेरी पहचान बताते हैं मुझको 
क्या कभी खुद से खुद की पहचान पूछ कर आएंगे

हजारों ठोकरें खायी है तब ये जिंदगी किस्मत से पाई है
कई कड़वे घुट पिए है हमने तब कहीं मुस्कुराहटें होंटो पे आईं हैं

और गर इंसान हूं मैं तो इंसान ही रहने दो
तुम खुश रहो अपनी जिंदगी में  

मुझे मेरी मुफलिसी में खुश रहने दो







हिंदुस्तान को हिंदुस्तान ही रहने दो

न जाने क्यों इतने सवाल करते हो बेवजह तुम बवाल करते हो 
ना कुछ बदला है ना बदलेगा तो किस बात का मलाल करते हो 

यह तेरा वह तेरा कहकर न जाने क्यों इंसानियत को बदनाम करते हो और यही तो वह गुनाह जो तुम सुबह शाम करते हो

इंसान हो इंसानियत को बरकरार रहने दो 
छोड़ो इन वहशी दरिंदों की राजनीति को

हिंदुस्तान गुलिस्तान है गुलिस्तान ही रहने दो
खुले आसमान में मुस्कुराए हर कोई 
हर किसी के दिल में इतमीनान रहने दो

लगी हो चिंगारी कहीं आस-पास तू बुझा दो 
तुम मेरे प्यारे हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहने दो

जिन्हें कहना है झूठ उन्हें कहने दो
कुछ कमी है मेरे हिंदुस्तान में 

माना फिर भी कुछ कमी रहने दो 
मेरे प्यारे हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहने दो

: ©️आनर्त झा









बुधवार, 1 जनवरी 2020

बीसवीं सदी का हिंदुस्तान

बीसवीं सदी का हिन्दुस्तान देखा है

किसी को मेहमान किसी को मेज़बान देखा है
मयखाने को गुलज़ार देखा है
घरों में कैद रिश्तों की डोर से बधा चलता फिरता समसान देखा है

हा मैंने नया हिंदुस्तान देखा है
रिश्तों को घुटते मरते सिसकते देखा है
पैसे कमाने की चाहत में 
खुदको मारता इंसान देखा है 

हा मैंने नया हिंदुस्तान देखा है
रास्ते बड़े बढ़े देखे है मेने 
फिर भी इन सड़कों पर घिसटता 
अजीब सी दौड़ में भागता इंसान देखा है

हा मैंने नया हिंदुस्तान देखा है
कल सुना था हिंदुस्तान दौड़ा था
कुछ किलोमीटर जलकर 
हां मैंने चलते फिरते लोगो से भरा
कब्रिस्तान देखा है






कितने किरदार है मुझमें

कितने किरदार है मुझमें
मै नहीं जान पाता हूं
कोई पूछता है मुझसे कौन हो तुम
हर बार कुछ नया बताता हूं
अपनी सख्सियत क्या है 
हर बार खुदसे यही सवाल दोहराता हूं
कभी दोस्त कभी भाई 
कभी फरिश्ता कभी गुनेहगार बन जाता हूं
लोगो ने रचा है मुझको या 
कुदरत ने नहीं जान पाता हूं
हर वक़्त एक नया किरदार गड़ता है
उन्हीं किरदारों में ये उम्र बिताता हूं
पुछु कभी आईने से
कौन हूं मैं
आइना कुछ बताता 
मा कुछ बताती है
दोस्त कुछ बताते है
सोचता हूं खोजू जवाबो को इन सवालों से
पर इन जवाबो से और उलझता जाता हूं
कितने किरदार है मुझ में
मैं खुद नहीं जान पाता हूं

अभी जिया ही क्या है
अभी तो बहुत वक़्त बिताना है
बचे है अभी कई अधूरे किरदार 
उनको निभाना है 
कई किरदारों को जीते जाना है

Shayari

कभी मेरे अहसास को समझ लेना मेरी पलको से झलकती नजर समझ लेना
जब भिनी सी खुश्बू आए और दिल धड़क जाए मेरी मोहब्बत का असर समझ लेना

चंद सिक्के समेटने में ताउम्र जिंदगी गुजार दी 
हजारों ख्वाहिशों की कब्रों से चढ़कर पहुंचा हू यहां तक
अपने से अपने को तो कब का आजाद कर चुका हूं मैं
और कितना लडू खुद से 
कि खुद से खुदको तो कबका खत्म कर चुका हूं मैं

हमने मसरूफियत में एक जमाना गुजारा है लोग कहते हैं यह शख्स पुराना है अरे धन दौलत की जरूरत किसको है
हम तो शायर हैं जनाब इस दुनिया से लेकर उस दुनिया तक सब कुछ हमारा है

और जो सीने में कैद दरिया है तुम कहते थी तुम्हारा है हम कहते थे हमारा , और खाई थी कभी संग जीने मरने की कसमें 
और दूर गई हो तो मुझसे कहती हो भूलो पुरानी बातों को आगे बढ़ो यह जीवन तुम्हारा है वह जीवन हमारा है

मेरे विचारों की गतिशीलता जब शून्य हो जाती है सब शांत होता है हर तरफ तो केवल तेरी तस्वीर उभर आती है
और तुम मेरी यादों के समंदर में महफूज़ हो और कौन कहता है यह दो कौड़ी के लोग तुम्हें मुझसे जुदा कर पाएंगे 

बहुत दर्द होता है आंखें खून के आंसू रोती हैं और दिल जब टूटता है तब हर कोई सोचता है मोहब्बत क्यों होती है

अकेले में तड़पती होगी वह भी छुप छुप के रोती होगी मुझको देखकर मुस्कुराने वाली मेरी मोहब्बत मुझे पता है रात को तकिए भिगो भिगो कर सोती होगी

दिल में जो दर्द है आंखों से छलक जाता है अरे चेहरा तो खामोश रहता है दर्द तो अकेले में अश्क बनकर बह जाता

सोचता तो हूं खामोश रहू पर क्या करू जनाब शायर हूं जुबान तो शांत रहती है पर दर्द तो शब्दों में उतर आता है

उनकी तजुर्बे कारी में हम मरते रहे 
हम इश्क़ करते रहे वो चाले चलते रहे

कमज़ोर तो वो इश्क़ के खेल में हम ना थे
दर्द वो देते रहे हैं और हम सहते रहे