यह महंगे कपड़े महंगी गाड़ी मेरी औकात बताएंगे क्या
बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक
जिनका मर गया हो जमीर पैसों की खातिर
उनसे कोई जाकर पूछे
वह क्या कभी अपने जनाजे से लौटकर आएंगे
और यह कौन लोग हैं जो मेरी पहचान बताते हैं मुझको
क्या कभी खुद से खुद की पहचान पूछ कर आएंगे
हजारों ठोकरें खायी है तब ये जिंदगी किस्मत से पाई है
कई कड़वे घुट पिए है हमने तब कहीं मुस्कुराहटें होंटो पे आईं हैं
और गर इंसान हूं मैं तो इंसान ही रहने दो
तुम खुश रहो अपनी जिंदगी में
मुझे मेरी मुफलिसी में खुश रहने दो
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