बुधवार, 27 नवंबर 2019

सफर जारी है


मंजिलों का पाता नहीं 
हर एक पल में जिन्दगी गुजारी है
हर एक लम्हा पीछे छूट गया
फिर भी सफर अभी जारी है
ना जाने कितने मिले बचपन में 
जिनके साथ निभाई खूब यारी है
वो बिछड़ गए ना जाने कहां गए
सफर फिर भी जारी है
नहीं मिलता प्यार अब पहला सा
नहीं मिलता वो यार पहला सा
नहीं मिलता वो दुलार पहला सा
हर तरफ एक अजब सी खुमारी है
सफर फिर भी जारी है
लाचार है हम वक़्त के साए में
चाहते हो वो करते नहीं
जो नहीं चाहते वही करते जाते है
जिन्दगी के पहिए को यूहीं
धक्के लगाते हैं
नहीं चाहते चलना कुछ रहो में 
फिर भी जीवन के अनमोल पल 
उन्हीं रहो में बिताते है 
यही हमारी लाचारी है
सफर तो अब भी जारी है
कल देखा था उनको फिर उन्हीं रहो में
लेकिन किसी और की बाहों में
जो थी कभी हमारी निगाहों में 
तो क्या हुआ वो नहीं हमारी है
सफर फिर भी जारी है 
वह बेवफा है तो क्या 
हमें तो हमारी यारी निभानी है
एक नया सा रोग पनपा है आजकल  
यह भी अजीब एक नई बीमारी है कई दोस्त है अब कंप्यूटर पर
मगर अच्छे दोस्त की खोज अब भी जारी है
मगर फिर भी ना वह पहली सी यारी है
हम चाहे ना चाहे सफर फिर भी जा रही है
रोज गिरता भी हूं संभलता भी हूं 
जीवन से जंग जारी है
जीवन सचमुच एक सफर है 
और सफर अभी जारी है








गुरुवार, 14 नवंबर 2019

मां बहुत याद आती है

काली घनी अधेरी रात सी जब दुनिया डराती थी
कोई नहीं था साथ मेरे सिर्फ मां ही साथ निभाती थी

अपने दर्द को ना जाने कब और कैसे भूल जाती थी
मा मेरी मुस्कान की खातिर अपना सारा जीवन लुटाती थी

जबभी में बेचैन सा होता ना जाने कहां से 
जादूगर सी मा सब जान जाती थी

सामने मेरे हमेशा हस्ती थी वो अकेले में आंसू बहाती थी
मेरी हर बात पर हां में हां मिलाती थी 

पापा की हर बात मानती थी वो 
घर को खूब सजाती थी

बच्चों बनाने का बोझ था उस पर शायद
इसलिए वो रोज अपने खुदके ख़्वाबों का गला घोटा थी जाती थी

छोड़ दिया था उसने सब कुछ हमारी खातिर
किताबे , खवाहिसे ,अरमान , घर सब कुछ

 फिर भी रोज़ नए ख़्वाब सजाती थी 
अपने हर ख़्वाब का हिस्सा हमें बनाती थी

कोई गरीब नहीं दुनिया में सब कुछ उसके हिस्से आया है 
जिसके हाथों में मां का हाथ और सर पे मां का साया है

लाखों की भीड़ है मगर पर सर पे अब वो हाथ नहीं है
सब है मेरे पास  पर वो आवाज नहीं है

हां में बड़ा हो गया शायद 
इसलिए अब मेरे पास मां नहीं है 

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

मजा ही कुछ और है

मा बाप से सुट जाने के बाद अकेले में बड़बड़ाने का
मजा ही कुछ और है

सारी रात दोस्तो के साथ घूमने और छुप छुप के सुट्टे लगाने के 
मजा ही कुछ और है

इश्क़ में जब दिल टूटे तब अकेले में आंसू बहाने का 
मजा ही कुछ और है

और स्कूल में लेट जाने के बाद भारी ठंड टीचर से बेत खाने का और उसके बाद हाथ के कल्लाने का
मजा ही कुछ और है

कालेज से बंक मारकर सिनेमा जाने का
मजा ही कुछ और है

खाली वक़्त में दोस्तों के साथ बतियाने का और खुदको बिज़ी बताने का
मजा ही कुछ और है

सुहागरात से पहले सुहागरात मानने का 
मजा ही कुछ और है

जब लगी हो जोर से तो खुले में जाने का
मजा ही कुछ और है

पहले इश्क़ में पहली बार आंखो से आंखे मिलाने का
मजा ही कुछ और है

इश्क़ के दिनों में किसी के बार बार मानने पर रुठते जाने के 
मजा ही कुछ और है

गर स्वर्ग भी मिले तो कुर्बान है मां की गोद में सर रख कर सो जाने का मजा ही कुछ और है

बचपन के दिनों में तुतलाते का और तुतला के जिद मचाने का
मजा ही कुछ और है

बात बात में दोस्तो से हर बात में शर्त लगाने का
मजा ही कुछ और है

पान के टपरे में खड़े होकर जनरल नॉलेज बढ़ाने का
मजा ही कुछ और है

किसी के फटे में टांग अड़ाने का
मजा ही कुछ और है

ओपन माइक में आकर अच्छी परफॉर्मेंस पर उछल जाने का और जमकर ताली बजाने का मजा ही कुछ और है

Second

पहली बार हुए इश्क में आंख से आंख मिलाने का 
मजा ही कुछ और है 
बचपन से जवानी में कदम बढ़ाने का 
मजा ही कुछ और है
स्कूल छोड़कर कॉलेज में जाने के बाद लड़कियों को ताड़ते जाने का 
मजा ही कुछ और है 
और हो गया है इश्क तो इश्क में पहली बार हाथ से हाथ मिलाने का मजा ही कुछ और है 
और प्यार में परवान चढ़ते इश्क में लबो पर लबों के गिर जाने का मजा ही कुछ और है 
गर टूट गया हो दिल अगर इश्क में उसके बाद शब्दों को शायरी में जमाने का 
मज़ा ही कुछ और है 
और टूटे दिल के अश्क पन्नों में बहाने का और दूसरों को बताने का मजा ही कुछ और है