रविवार, 19 अप्रैल 2020

corona

प्रकृति ने भी क्या रूप दिखाया है 
इंसान घरों में कैद है 
और जानवर सड़क पर आया है
हर कुछ शांत किया कुछ पल के लिए 
प्रकृति ने अपना दोहन 
खुद ही कुछ पल के लिए बचाया है
मानवता की उपज हुई है लोगों में इक बार फिर से
सब ने मिलकर एक दूसरे का साथ निभाया है
हम भूल गए थे सब कुछ 
इसलिए तो प्रकृति ने यह तांडव रचाया है
भले एक दूसरे से दूर किया है
पर खुद से मिलने का वक्त दिया है 
प्रकृति ने भी इस बार कुछ तो नया किया है







गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

बहुत पैसा कमाया तूने की
गफलत में सब को भूल गया
मां-बाप और माटी तो यही रह गए
तू किसी और मुल्क का हो गया
ले देख वक्त ने करवट ली
और क्या से क्या हो गया
सुना है अखबारों में आ रहा है आजकल
परिंदों के लिए पराया था जो मुल्क
अचानक से आज अपना सा हो गया
ये सारा वक़्त हमें एहसास करता है
हमें याद दिलाता है फिर से

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

परछाइयां

यह परछाइयां भी कैसी है ना 
उम्र भर हर पल साथ चलती है 
गम हो या खुशी हो हर वक्त साथ निभाती है 
सिर्फ एक बात है जो वह उम्र भर नहीं कर पाती है
हमसे बात,  कई बार तुम्हें रोकना चाहती है 
कई बार तुम्हारी परछाई तुम को समझाना चाहती है
हां पर वह कुछ नहीं बोल पाती है 
जब धूप ना हो तो आईने में उतर आती है 
कभी तुम्हारी परछाई , कभी तुम्हारा अक्स बन जाती है
हां यही तो है वह जो तुम्हें कुछ गलत करने से रोकती है कभी-कभी तुम्हारा जमीर बन जाती है 
एक परछाई तो है जो जन्म के साथ आती है 
और शरीर के मिट्टी में मिलने तक साथ निभाती है