प्रकृति ने भी क्या रूप दिखाया है
इंसान घरों में कैद है
और जानवर सड़क पर आया है
हर कुछ शांत किया कुछ पल के लिए
प्रकृति ने अपना दोहन
खुद ही कुछ पल के लिए बचाया है
मानवता की उपज हुई है लोगों में इक बार फिर से
सब ने मिलकर एक दूसरे का साथ निभाया है
हम भूल गए थे सब कुछ
इसलिए तो प्रकृति ने यह तांडव रचाया है
भले एक दूसरे से दूर किया है
पर खुद से मिलने का वक्त दिया है
प्रकृति ने भी इस बार कुछ तो नया किया है