सोमवार, 13 अप्रैल 2020

परछाइयां

यह परछाइयां भी कैसी है ना 
उम्र भर हर पल साथ चलती है 
गम हो या खुशी हो हर वक्त साथ निभाती है 
सिर्फ एक बात है जो वह उम्र भर नहीं कर पाती है
हमसे बात,  कई बार तुम्हें रोकना चाहती है 
कई बार तुम्हारी परछाई तुम को समझाना चाहती है
हां पर वह कुछ नहीं बोल पाती है 
जब धूप ना हो तो आईने में उतर आती है 
कभी तुम्हारी परछाई , कभी तुम्हारा अक्स बन जाती है
हां यही तो है वह जो तुम्हें कुछ गलत करने से रोकती है कभी-कभी तुम्हारा जमीर बन जाती है 
एक परछाई तो है जो जन्म के साथ आती है 
और शरीर के मिट्टी में मिलने तक साथ निभाती है 

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