कुछ अनकही
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
वक़्त
नहीं थमता है वक़्त किसी के लाख चाहने से
नहीं लौटता है कोई होश में मैखाने से
वैसे तो बहुत कुछ है पाने को
ढून्ढ लो तो ख़ुसिया है
न ढूँढो तो गम ही गम है ज़माने में
- आनर्त झा
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