कभी बैठो अकेले में कुछ पल फुर्सत के निकालो
पलकों को थोड़ा आराम दो गुजरे लम्हों की तस्वीर सजा लो
याद करो उन लम्हों को जिन लम्हों में तुमने जिंदगी को जिया था
मुझे याद है वो पहली मुस्कुराहट तुम्हारी
जिसकी खातिर हमने अपना सब कुछ कुर्बान किया था
वो पहली बार तुम्हारा मुझे देखना और देखकर मुस्कुराना
नज़रों से नज़रों का चुराना एक अनकहे से एहसास से फिर मुझे देखते जाना
वो तुम्हारा शर्माना सामने आना और फिर कहीं खो जाना
कभी मिलो तो धीरे से मेरे हर हरकत पर तुम्हारा मुस्कुराना
मुझे याद है अब भी तुम्हारा वो काजल लगाना
मुझे याद अब भी वो मंजर पुराना
मुझे याद है अब भी तुम्हारे इंतज़ार घटो उन रहो में बिताना
जिन रही से तुम आती थी
मेरा तुम्हारी हर जानकारी जुटाने में सीआईडी हो जाना
तुम्हारा नंबर मिलने पर भी फोन ना लगाना
मेरी हरकतों का अहसास मुझे अब भी याद है
देखकर तुझको अपने सिर का खुजलाना
तुमसे हुई पहली बात पे मेरा हकलाना
याद है मुझे अब भी वो वक़्त वो पहली मोहब्बत का फसाना
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