शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

वो पहली मुस्कुराहट

कभी बैठो अकेले में कुछ पल फुर्सत के निकालो
पलकों को थोड़ा आराम दो गुजरे लम्हों की तस्वीर सजा लो

याद करो उन लम्हों को जिन लम्हों में तुमने जिंदगी को जिया था

मुझे याद है वो पहली मुस्कुराहट तुम्हारी 
जिसकी खातिर हमने अपना सब कुछ कुर्बान किया था

वो पहली बार तुम्हारा मुझे देखना और देखकर मुस्कुराना
नज़रों से नज़रों का चुराना एक अनकहे से एहसास से फिर मुझे देखते जाना

वो तुम्हारा शर्माना सामने आना और फिर कहीं खो जाना  
कभी मिलो तो धीरे से मेरे हर हरकत पर तुम्हारा मुस्कुराना 

मुझे याद है अब भी तुम्हारा वो काजल लगाना
मुझे याद अब भी वो मंजर पुराना 

मुझे याद है अब भी तुम्हारे इंतज़ार घटो उन रहो में बिताना 
जिन रही से तुम आती थी

मेरा तुम्हारी हर जानकारी जुटाने में सीआईडी हो जाना
तुम्हारा नंबर मिलने पर भी फोन ना लगाना

मेरी हरकतों का अहसास मुझे अब भी याद है
देखकर तुझको अपने सिर का खुजलाना

तुमसे हुई पहली बात पे मेरा हकलाना 
याद है मुझे अब भी वो वक़्त वो पहली मोहब्बत का फसाना

मा बाप की मोहब्बत

गर हम नशे में होते मोहब्बत के
तो तुम्हे  अपना खुदा बताते 

मोहब्बत तो दो पल की रवानी है 
किसी को देखें और दिल धड़क जाए 
यह नहीं है मोहब्बत 
अरे मोहब्बत वह भी तो है जिससे दिल में धड़कन आए 

भला कैसे एहसान फरामोश बने हम
कि दिल लगे और सब कुछ भूल जाए

कैसे किसी एक को खुदा माने हम कि 
जब इस दुनिया में दो खुदा के साए में आए

कि मेरे आने के बाद ही तो हो 
मां कहलाए पिता कहलाए

दो पल का फसाना नहीं है जिंदगी
किसी और की दी हुई है जिंदगी 

कि कुछ और नहीं चाहिए उनको दुनिया में 
कि हमारी हर मुस्कुराहट में वो मुस्कुराए

रोए जब हम अकेले में हार कर 
तो उन्होंने भी अकेले छुप कर खूब आंसू बहाए

सारी मोहब्बत इस दुनिया में वक्त के साथ खत्म हो जाएगी
एक मां बाप की मोहब्बत है 
जो तुम्हारी पैदा होने से लेकर 
तुम्हारे जनाजे तक साथ जाएगी

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

सपने बेचकर आया हूं

हजारों सपने बेचकर आया हूं 
तब में यह पहुंच पाया हूं

बचपन के सुनहरे सपने को
बचपन की उन सकरी गलियों में, 
छोड़कर आया हूं

रोटी कमाने की दौड़ में
रास्तों मोड़कर आया हूं

बुलाते है वो रास्ते अभी भी मुझको
ना जाने क्यों 
क्या उन रास्तों का कुछ उधार छोड़कर आया हूं

अब  कौन समझाए उन रास्तों को
की जिस शक्स को जानते हैं वो
उसको तो मै कबका कहा छोड़कर आया हूं

हजारों सपने बेचे है खवाहिसो को जलाया है 
तब कहीं जाकर मैंने जिंदगी जीने का सामान जुटाया है

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

कुछ इश्क़ हम निभा लो

इस भागदौड़ भरी जिंदगी से
कुछ पल तुम चुरा लो 
कुछ पल हम चुरा ले 
आ जाओ फिर से एक बार बाहों में
घुल जाए एक दूसरे में प्यार का दरिया बहा दे

जो बरसों से दबा रखे है अल्फ़ाज़ दिल में
होंठो से तुम बता दो लबों से हम हटा दे

जीवन तो गुलाब सा है 
आज खिला है तो कल मुरझाएगा भी
आज जो वक्त मिला हमको 
नहीं माने हम तो तो ये वक़्त गुज़र जाएगा भी

खामोश पलके अच्छी है तुम्हारी
पर ज्यादा ज्यादा खामोश रही 
तो कल छलक जाएगी 
आंखों से आंसू बरसाएगी 

छोड़ो जमाने कि बंदिशों को
दिल के अरमानों को 
परवान चढ़ा लो 
तुम मुझमें घुल जाओ में तुममें घुल जाए

इस खाली कैनवस सी जिंदगी में
कुछ रंग प्यार के भर दे 
एक प्यारी तस्वीर बना दे 

चलो इस भागदौड़ भरी जिंदगी से
फुर्सत के कुछ लम्हे चुरा ले
कुछ प्यार तुम करो
कुछ इश्क़ हम निभा ले

: आनर्त 

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

प्यार महफ़िल और रंजिश

प्यार महफिल और रंजिश तीनों ही का अजीब दोस्ताना है 
जब होती हैं तो इंसान इंसान नहीं रहता

दिल दिल और दिमाग दिमाग दिमाग नहीं रहता
कहना कुछ चाहता है दिल कह कुछ देता

निकम्मा बन जाता है इश्क में आदमी कि
इस दुनिया में इश्क के सिवा उसका कुछ नहीं रहता

और महफिले खुद से खुद को तोड़ती हैं 
किसी और का रुख मोड़ती हैं

रंजिशें तो गजब कहर ढाते हैं 
अपनो से ही अपनों को लड़ वाती हैं 

हम जानते हैं सब कुछ फिर भी संभल नहीं पाते 
प्यार महफ़िल और रंजिश इन्हीं के चक्कर में हम खुदको भूल जाते

जीना चाहते हैं कुछ अलग तरीके से फिर भी इन्हीं पुराने ढर्रे के बीच में जिंदगी बिताते हैं

और इंसानियत की तो न पूछो 
किसी कोने की किसी कब्र में दफन कर कर 
हम कभी हैवान तो कभी नकली इंसान बन जाते है

पूजते हैं जीवन भर खुदा को 
और खुद को ही भूल जाते हैं