बुधवार, 1 जनवरी 2020

Shayari

कभी मेरे अहसास को समझ लेना मेरी पलको से झलकती नजर समझ लेना
जब भिनी सी खुश्बू आए और दिल धड़क जाए मेरी मोहब्बत का असर समझ लेना

चंद सिक्के समेटने में ताउम्र जिंदगी गुजार दी 
हजारों ख्वाहिशों की कब्रों से चढ़कर पहुंचा हू यहां तक
अपने से अपने को तो कब का आजाद कर चुका हूं मैं
और कितना लडू खुद से 
कि खुद से खुदको तो कबका खत्म कर चुका हूं मैं

हमने मसरूफियत में एक जमाना गुजारा है लोग कहते हैं यह शख्स पुराना है अरे धन दौलत की जरूरत किसको है
हम तो शायर हैं जनाब इस दुनिया से लेकर उस दुनिया तक सब कुछ हमारा है

और जो सीने में कैद दरिया है तुम कहते थी तुम्हारा है हम कहते थे हमारा , और खाई थी कभी संग जीने मरने की कसमें 
और दूर गई हो तो मुझसे कहती हो भूलो पुरानी बातों को आगे बढ़ो यह जीवन तुम्हारा है वह जीवन हमारा है

मेरे विचारों की गतिशीलता जब शून्य हो जाती है सब शांत होता है हर तरफ तो केवल तेरी तस्वीर उभर आती है
और तुम मेरी यादों के समंदर में महफूज़ हो और कौन कहता है यह दो कौड़ी के लोग तुम्हें मुझसे जुदा कर पाएंगे 

बहुत दर्द होता है आंखें खून के आंसू रोती हैं और दिल जब टूटता है तब हर कोई सोचता है मोहब्बत क्यों होती है

अकेले में तड़पती होगी वह भी छुप छुप के रोती होगी मुझको देखकर मुस्कुराने वाली मेरी मोहब्बत मुझे पता है रात को तकिए भिगो भिगो कर सोती होगी

दिल में जो दर्द है आंखों से छलक जाता है अरे चेहरा तो खामोश रहता है दर्द तो अकेले में अश्क बनकर बह जाता

सोचता तो हूं खामोश रहू पर क्या करू जनाब शायर हूं जुबान तो शांत रहती है पर दर्द तो शब्दों में उतर आता है

उनकी तजुर्बे कारी में हम मरते रहे 
हम इश्क़ करते रहे वो चाले चलते रहे

कमज़ोर तो वो इश्क़ के खेल में हम ना थे
दर्द वो देते रहे हैं और हम सहते रहे 


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