कभी मेरे अहसास को समझ लेना मेरी पलको से झलकती नजर समझ लेना
जब भिनी सी खुश्बू आए और दिल धड़क जाए मेरी मोहब्बत का असर समझ लेना
चंद सिक्के समेटने में ताउम्र जिंदगी गुजार दी
हजारों ख्वाहिशों की कब्रों से चढ़कर पहुंचा हू यहां तक
अपने से अपने को तो कब का आजाद कर चुका हूं मैं
और कितना लडू खुद से
कि खुद से खुदको तो कबका खत्म कर चुका हूं मैं
हमने मसरूफियत में एक जमाना गुजारा है लोग कहते हैं यह शख्स पुराना है अरे धन दौलत की जरूरत किसको है
हम तो शायर हैं जनाब इस दुनिया से लेकर उस दुनिया तक सब कुछ हमारा है
और जो सीने में कैद दरिया है तुम कहते थी तुम्हारा है हम कहते थे हमारा , और खाई थी कभी संग जीने मरने की कसमें
और दूर गई हो तो मुझसे कहती हो भूलो पुरानी बातों को आगे बढ़ो यह जीवन तुम्हारा है वह जीवन हमारा है
मेरे विचारों की गतिशीलता जब शून्य हो जाती है सब शांत होता है हर तरफ तो केवल तेरी तस्वीर उभर आती है
और तुम मेरी यादों के समंदर में महफूज़ हो और कौन कहता है यह दो कौड़ी के लोग तुम्हें मुझसे जुदा कर पाएंगे
बहुत दर्द होता है आंखें खून के आंसू रोती हैं और दिल जब टूटता है तब हर कोई सोचता है मोहब्बत क्यों होती है
अकेले में तड़पती होगी वह भी छुप छुप के रोती होगी मुझको देखकर मुस्कुराने वाली मेरी मोहब्बत मुझे पता है रात को तकिए भिगो भिगो कर सोती होगी
दिल में जो दर्द है आंखों से छलक जाता है अरे चेहरा तो खामोश रहता है दर्द तो अकेले में अश्क बनकर बह जाता
सोचता तो हूं खामोश रहू पर क्या करू जनाब शायर हूं जुबान तो शांत रहती है पर दर्द तो शब्दों में उतर आता है
उनकी तजुर्बे कारी में हम मरते रहे
हम इश्क़ करते रहे वो चाले चलते रहे
कमज़ोर तो वो इश्क़ के खेल में हम ना थे
दर्द वो देते रहे हैं और हम सहते रहे
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