शनिवार, 25 जनवरी 2020

मा तुम क्या हो

मां तुम क्या हो क्या तुम मेरी ख्वाबों का खजाना हो 
या मेरी बचपन की कहानियों का पिटारा 
एक अनकहा सा एहसास हो या 
खुदा का कोई एहसान हो 
पर जो भी हो इस दुनिया में मेरी पहचान हो 
तुम हो तो मैं हूं 
तुम मेरे बचपन का दुलार हो 
तुम इस दुनिया में मेरा पहला प्यार हो 
सारे रिश्ते झूठे हैं जो वक्त पर जाकर टूटे हैं 
एक तू ही है जिसका रिश्ता सच्चा है 
मैं कितना भी बड़ा हो जाऊं तेरे लिए 
पर तू कहती है तू तो मेरा बच्चा है 
यह सारी दवाएं  झूठी है 
तेरे हाथों में मां जादू की बूटी है 
चोट मुझको लगती है 
तू दर्द से करहती है 
तू जादूगरनी है क्या मां सब जान जाती है 
तेरी गोद में सर रख लूं तो स्वर्ग का सुख पाता हूं 
जो तू हाथ फेर दे मेरे सिर पर सब भूल जाता हूं 

मेरी आौकत बताएंगे क्या

यह महंगे कपड़े महंगी गाड़ी मेरी औकात बताएंगे क्या
बहुत लड़कर और अपने डर से जीतकर पहुंचा हूं मैं यहां तक

जिनका मर गया हो जमीर पैसों की खातिर
उनसे कोई जाकर पूछे
वह क्या कभी अपने जनाजे से लौटकर आएंगे

और यह कौन लोग हैं जो मेरी पहचान बताते हैं मुझको 
क्या कभी खुद से खुद की पहचान पूछ कर आएंगे

हजारों ठोकरें खायी है तब ये जिंदगी किस्मत से पाई है
कई कड़वे घुट पिए है हमने तब कहीं मुस्कुराहटें होंटो पे आईं हैं

और गर इंसान हूं मैं तो इंसान ही रहने दो
तुम खुश रहो अपनी जिंदगी में  

मुझे मेरी मुफलिसी में खुश रहने दो







हिंदुस्तान को हिंदुस्तान ही रहने दो

न जाने क्यों इतने सवाल करते हो बेवजह तुम बवाल करते हो 
ना कुछ बदला है ना बदलेगा तो किस बात का मलाल करते हो 

यह तेरा वह तेरा कहकर न जाने क्यों इंसानियत को बदनाम करते हो और यही तो वह गुनाह जो तुम सुबह शाम करते हो

इंसान हो इंसानियत को बरकरार रहने दो 
छोड़ो इन वहशी दरिंदों की राजनीति को

हिंदुस्तान गुलिस्तान है गुलिस्तान ही रहने दो
खुले आसमान में मुस्कुराए हर कोई 
हर किसी के दिल में इतमीनान रहने दो

लगी हो चिंगारी कहीं आस-पास तू बुझा दो 
तुम मेरे प्यारे हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहने दो

जिन्हें कहना है झूठ उन्हें कहने दो
कुछ कमी है मेरे हिंदुस्तान में 

माना फिर भी कुछ कमी रहने दो 
मेरे प्यारे हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहने दो

: ©️आनर्त झा









बुधवार, 1 जनवरी 2020

बीसवीं सदी का हिंदुस्तान

बीसवीं सदी का हिन्दुस्तान देखा है

किसी को मेहमान किसी को मेज़बान देखा है
मयखाने को गुलज़ार देखा है
घरों में कैद रिश्तों की डोर से बधा चलता फिरता समसान देखा है

हा मैंने नया हिंदुस्तान देखा है
रिश्तों को घुटते मरते सिसकते देखा है
पैसे कमाने की चाहत में 
खुदको मारता इंसान देखा है 

हा मैंने नया हिंदुस्तान देखा है
रास्ते बड़े बढ़े देखे है मेने 
फिर भी इन सड़कों पर घिसटता 
अजीब सी दौड़ में भागता इंसान देखा है

हा मैंने नया हिंदुस्तान देखा है
कल सुना था हिंदुस्तान दौड़ा था
कुछ किलोमीटर जलकर 
हां मैंने चलते फिरते लोगो से भरा
कब्रिस्तान देखा है






कितने किरदार है मुझमें

कितने किरदार है मुझमें
मै नहीं जान पाता हूं
कोई पूछता है मुझसे कौन हो तुम
हर बार कुछ नया बताता हूं
अपनी सख्सियत क्या है 
हर बार खुदसे यही सवाल दोहराता हूं
कभी दोस्त कभी भाई 
कभी फरिश्ता कभी गुनेहगार बन जाता हूं
लोगो ने रचा है मुझको या 
कुदरत ने नहीं जान पाता हूं
हर वक़्त एक नया किरदार गड़ता है
उन्हीं किरदारों में ये उम्र बिताता हूं
पुछु कभी आईने से
कौन हूं मैं
आइना कुछ बताता 
मा कुछ बताती है
दोस्त कुछ बताते है
सोचता हूं खोजू जवाबो को इन सवालों से
पर इन जवाबो से और उलझता जाता हूं
कितने किरदार है मुझ में
मैं खुद नहीं जान पाता हूं

अभी जिया ही क्या है
अभी तो बहुत वक़्त बिताना है
बचे है अभी कई अधूरे किरदार 
उनको निभाना है 
कई किरदारों को जीते जाना है

Shayari

कभी मेरे अहसास को समझ लेना मेरी पलको से झलकती नजर समझ लेना
जब भिनी सी खुश्बू आए और दिल धड़क जाए मेरी मोहब्बत का असर समझ लेना

चंद सिक्के समेटने में ताउम्र जिंदगी गुजार दी 
हजारों ख्वाहिशों की कब्रों से चढ़कर पहुंचा हू यहां तक
अपने से अपने को तो कब का आजाद कर चुका हूं मैं
और कितना लडू खुद से 
कि खुद से खुदको तो कबका खत्म कर चुका हूं मैं

हमने मसरूफियत में एक जमाना गुजारा है लोग कहते हैं यह शख्स पुराना है अरे धन दौलत की जरूरत किसको है
हम तो शायर हैं जनाब इस दुनिया से लेकर उस दुनिया तक सब कुछ हमारा है

और जो सीने में कैद दरिया है तुम कहते थी तुम्हारा है हम कहते थे हमारा , और खाई थी कभी संग जीने मरने की कसमें 
और दूर गई हो तो मुझसे कहती हो भूलो पुरानी बातों को आगे बढ़ो यह जीवन तुम्हारा है वह जीवन हमारा है

मेरे विचारों की गतिशीलता जब शून्य हो जाती है सब शांत होता है हर तरफ तो केवल तेरी तस्वीर उभर आती है
और तुम मेरी यादों के समंदर में महफूज़ हो और कौन कहता है यह दो कौड़ी के लोग तुम्हें मुझसे जुदा कर पाएंगे 

बहुत दर्द होता है आंखें खून के आंसू रोती हैं और दिल जब टूटता है तब हर कोई सोचता है मोहब्बत क्यों होती है

अकेले में तड़पती होगी वह भी छुप छुप के रोती होगी मुझको देखकर मुस्कुराने वाली मेरी मोहब्बत मुझे पता है रात को तकिए भिगो भिगो कर सोती होगी

दिल में जो दर्द है आंखों से छलक जाता है अरे चेहरा तो खामोश रहता है दर्द तो अकेले में अश्क बनकर बह जाता

सोचता तो हूं खामोश रहू पर क्या करू जनाब शायर हूं जुबान तो शांत रहती है पर दर्द तो शब्दों में उतर आता है

उनकी तजुर्बे कारी में हम मरते रहे 
हम इश्क़ करते रहे वो चाले चलते रहे

कमज़ोर तो वो इश्क़ के खेल में हम ना थे
दर्द वो देते रहे हैं और हम सहते रहे