कुछ अनकही
गुरुवार, 31 मई 2012
एक बार ज़रूर आना
अगर हो सके तो एक बार ज़रूर आना
अगर हो सके तो वो साज़ जरूर गाना
अगर हो सके तो तुम वैसे ही आना
जैसी तुम पहली बार आयी थी
जिसको भुला दिया है तुमने न जाने किसके खातिर
जो तुम्हारे दिल में था कभी मेरे लिए
अगर हो सके तो वो प्यार अपने संग जरूर लाना
2 टिप्पणियां:
Shanti Garg
8 जून 2012 को 3:10 am बजे
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
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Aanart Jha
10 जून 2012 को 10:47 am बजे
bahut bahut dhanywad.
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Very nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
bahut bahut dhanywad.
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