कुछ अनकही
रविवार, 20 मई 2012
उदासी
ज़िन्दगी न जाने किस मोड़ पर लाई है
सुना हर कोना है, हर तरफ उदासी छाई है
आंख का हर आंसू ,अब पत्थर हो गया है
अब तो दर्द भी ,बेदर्द हो गया है
:- आनर्त झा
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