कुछ अनकही
गुरुवार, 31 मई 2012
एक बार ज़रूर आना
अगर हो सके तो एक बार ज़रूर आना
अगर हो सके तो वो साज़ जरूर गाना
अगर हो सके तो तुम वैसे ही आना
जैसी तुम पहली बार आयी थी
जिसको भुला दिया है तुमने न जाने किसके खातिर
जो तुम्हारे दिल में था कभी मेरे लिए
अगर हो सके तो वो प्यार अपने संग जरूर लाना
रविवार, 20 मई 2012
उदासी
ज़िन्दगी न जाने किस मोड़ पर लाई है
सुना हर कोना है, हर तरफ उदासी छाई है
आंख का हर आंसू ,अब पत्थर हो गया है
अब तो दर्द भी ,बेदर्द हो गया है
:- आनर्त झा
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