ठोकरें लाख है, सफर में
हर ठोकर खाकर भी, मुस्कुरा रहा हूं मैं
जैसी भी है मेरी है ,इसलिए जिंदगी को
हर बढ़ते कदम के साथ, गले लगा रहा हूं मैं
तुम मुझसे, पूछो या ना पूछो ,फिर भी
अपने हालात, बता रहा हूं मैं
कई जख्म लगे हैं, सीने में
जिनको तुम से छुपा रहा हूं मैं
रोने का दिल करता है, कई बार
फिर भी, मुस्कुरा रहा हूं मैं
आगे बढ़ना ही जिंदगी है
हर कदम के साथ, आगे बढ़ता जा रहा हूं मैं
जिंदगी से, कुछ वादे किए थे शायद
जिसे वक्त के साथ निभा रहा हूं मैं
वो मुझसे दूर चली गई, तो क्या हुआ
उनकी हर खुशी पर अपनी जिंदगी, लुटा रहा हूं
प्यार किया था, कभी किसी से
आज भी जिसे निभा रहा हूं मैं
जिंदगी तुझे देने हैं, जितने सितम देले
तेरे हर एक सितम को, वैसे भी सहते जा रहा हूं मैं
मन करता है आंसू बहाने का पर फिर भी
हर वक्त, हर पहर मुस्कुरा रहा हूं मैं
जिंदगी से कुछ ऐसी दोस्ती निभा रहा हूं मैं
वक्त के साथ ,कदम दर कदम आगे बढ़ता जा रहा हूं