शनिवार, 30 मई 2020

कहा जाना है

बहुत जल्दी में है सब शायद 
ना जाने कहां जाना है
बरसो से सुना है
जिन्दगी एक सफर है 
सफर को एक दिन मुकाम पे जाना है
फिर भी वक़्त कहा है किसी के पास 
सबको तो पैसे कमाना है 
अपने आज को खोकर ,कल को बनाना हैं
शायद इन्हीं पैसों की दौड़ ने मेरे ख्वाब छीन लिए
दिल में बसे मेरे बेशकीमती जज़्बात छीन लिए
अब तो रास्ते भी रास्तों से बात करते है 
कोई रुके पल दो पल के लिए रहो में 
रास्ते इंतजार करते है
कुछ तो बदला सा है आजकल 
अब पहले सी फुर्सत नहीं मिलती 
रिश्ते कुछ महंगे से है
आसानी से नहीं मिलते
और मिल भी जाए ज्यादा दिन नहीं टिकते
बहुत जल्दी में है सब शायद
इसलिए कुछ भी हो किसी के लिए नहीं रुकते
ना जाने क्या पाना चाहते है 
ना जाने कहा जाना चाहते है

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